Saturday, November 23, 2024
Homeउत्तराखण्डशंभू नदी में भूस्खलन के कारण बनी झील, कई गांवों को खतरा

शंभू नदी में भूस्खलन के कारण बनी झील, कई गांवों को खतरा

बागेश्वर: जिले में भारी बारिश के बाद पिंडर नदी की सहायक शंभू नदी पर झील बनने की सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। कुवारी गांव में लगातार हो रहे भूस्खलन से शंभू नदी में झील बनने का सिलसिला तेज हो गया है। जिससे बागेश्वर जिले से अधिक नुकसान चमोली जिले के गांवों को हो सकता है।

बीते शुक्रवार की देर शाम शंभू नदी में भूस्खलन के कारण झील बन गई है। झील बनने से नीचे बसे गांवों को खतरा हो गया है। राजस्व उप निरीक्षक संजय कुमार को किलपारा के सरपंच बसंत देव ने फोन से जानकारी दी।

जिलाधिकारी अनुराधा पाल के निर्देश के बाद सिंचाई विभाग के कर्मचारी मौके के लिए रवाना हो गए हैं। उनके मौके पर पहुंचने के बाद ही झील का मुहाना खोला जाएगा। सिंचाई विभाग के ईई पान सिंह बिष्ट ने बताया कि विभाग के ईई जेई तरुण लुमियाल समेत अन्य कर्मचारी भेजे गए हैं।

जिले में 2013 से कुंवारी गांव में भूस्खलन हो रहा है। बताया जा रहा है कि मलबा सीधे शंभू नदी पर गिर रहा है। जिससे वहां बीते वर्ष की भांति झील बन गई है। कपकोट स्थित शंभू बुग्याल से निकलकर कुंवारी गांव से शंभू नदी चमोली की तरफ जाती है। 2013 में आई आपदा और लगातार भूस्खलन से नदी पर वी आकार की झील बन गई थी। तब झील की लंबाई 500 मीटर से अधिक बताई गई।

नदी के किनारे धीरे-धीरे पहाड़ से मलबा गिरने और जमा होने के बाद झील फिर आकार लेने लगी है। कुंवारी की ग्राम प्रधान धर्मा देवी के अनुसार फिलहाल इस झील से कोई नुकसान नहीं है। लेकिन याद रखना चाहिए कि आपदा के लिहाज से उत्तराखंड के पहाड़ बेहद संवेदनशील हैं। केदारनाथ की तबाही का मंजर भुलाया नहीं जा सकता तो चमोली की आपदा के निशान भी अब तक हरे हैं।

शंभू नदी बागेश्वर से निकलकर चमोली जिले में पिंडर नदी से मिलती है। जहां झील बनी है, वहां से एक किमी आगे चमोली जिला प्रारंभ हो जाता है। अगर यह झील टूटी तो चमोली के अरमल, थराली, नारायणबगड़ क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments