Wednesday, November 27, 2024
Homeउत्तराखण्डमूल निवास: सैकड़ों युवाओं ने भरी हुंकार, राजधानी देहरादून में करेंगे विशाल...

मूल निवास: सैकड़ों युवाओं ने भरी हुंकार, राजधानी देहरादून में करेंगे विशाल प्रदर्शन

हल्द्वानी: उत्तराखंड में मूल निवास की परिभाषा 1950 करने की मांग न सिर्फ गढ़वाल बल्कि कुमाऊं में भी तूल पकडने लगी है, बताते चले की काफी लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सहित उत्तराखंड के तमाम संगठन मूल निवास व भू- कानून लागू करने की मांग उठा रहे हैं । हाल ही में सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर भी यह कहा गया कि जिनके पास मूल निवास है उन्हें स्थाई निवास की जरूरत नहीं है, साथ हि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जल्द ही समिति बनाकर इस पर वार्ता की जाएगी।

मूल निवास व भू- कानून लागू करने की मांग को लेकर सीएम के आश्वासन के बाद भी आंदोलनकारियों का स्पष्ट कहना है कि यह आंदोलन यथावत चलता रहेगा व ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों से देहरादून कूच करने की बात कही।  इस दौरान समाजसेवी शैलेंद्र सिंह दानू ने कहा कि सरकार पहाड़ी राज्य के लोगों के हितों से खिलवाड़ कर रही है मूल निवास 1950 लागू कर सरकार को युवाओं व पहाड़ी संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

वहीं समाजसेवी पीयूष जोशी ने कहा कि जिस प्रकार एससी,एसटी, ओबीसी को इस आधार पर आरक्षण मिलता है कि उनका वर्षों से  शोषण किया गया था।उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद सरकारी नौकरियों पर अन्य सभी जगह पर बाहरी  राज्यों के लोगों ने डाका डालना शुरू कर दिया है, सरकार को चाहिए की मूल निवास की तिथि 1950 तत्काल की जाए व सरकारी नौकरियों मे मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाए,जिससे पहाड़ी राज्य की कल परिकल्पना का मकसद साकार हो सके।

युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि यह राज्य राज्य आंदोलनकारी की शहादत पर बना है व पहाड़ की जवानी व पहाड़ की कहानी कोई असल रूप में बयां करता है तो वह मूल निवास प्रमाण पत्र  है जिसकी तिथि 1950 वर्ष से हो व राज्य की परिकल्पना के अनुसार तत्काल कार्यवाही करते हुए मूल निवास हेतु सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।

बैठक में स्पष्ट तौर पर सरकार द्वारा हाल ही में जारी शासनादेश का भी जिक्र हुआ व कहा गया कि यह शासनादेश केवल दिखला म्वटि है क्योंकि यह प्रावधान तो पूर्व से ही मौजूद संशोधन में था, परंतु राज्य सरकार द्वारा इसको जारी करने का उद्देश्य केवल और केवल आंदोलन को कमजोर करना है।

वहीे मुख्यमंत्री द्वारा समिति बनाने व संवाद के रास्ते खुले होने की बात पर भी उन्होंने कहा कि सरकार मूल निवास के मुद्दे पर बैक फुट पर है इसलिए बात करने की बात कर रही है, परंतु उत्तराखंड के लोगों को अध्यादेश चाहिए समिति व वार्ता नहीं इसलिए सभी युवा आने वाली रैली में भारी से भारी संख्या में प्रतिभाग करेंगे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments