देहरादून: राज्य में चुनाव नजदीक आते ही भाजपा में टिकटों के बंटवारे को लेकर पार्टी हाईकमान ने कसरत तेज कर दी है। प्रत्येक विधानसभा में भाजपा टिकट वितरण को लेकर सर्वे कर रही है। वर्ष 2017 में जिन 57 सीटों पर भाजपा विजयी हुई थी, उन सीटों पर भी विशेष रूप से सीटिंग विधायकों की छवि व दुबारा से जीत दर्ज करने को लेकर विभिन्न बिन्दुओं पर सर्वे किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार अब तक पूर्व में की गई सर्वे में कई विधायकों की रिपोर्ट अच्छी नहीं है, ऐसे विधायक 18 बताए जा रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बनने के बाद से भाजपा में टिकट वितरण के मापदंड बनाएं गए। जो इन मापदंडों पर खरा उतरता है टिकट उसी को दिया जाता है। अब वर्तमान में भी केन्द्रीय संगठन पूर्व की रणनीति पर ही चल रहा है। हाल में गुजरात में मुख्यमंत्री से लेकर पूरे मंत्रीमंडल को ही भाजपा हाईकमान ने बदल दिया। भाजपा हर चुनाव में नया करती है, और यही उसकी जीत का आधार बन रहा है।
विधानसभा चुनाव में सीटिंग विधायकों के टिकट काटने में भी हाईकमान पीछे नहीं हटता। आने वाले फरवरी या मार्च महीने में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। वर्ष 2017 में भाजपा दो तिहाई से अधिक बहुमत लेकर सत्ता पर काबिज हुई थी।
अब तक उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव का इतिहास देखे तो एक बार भाजपा व एक बार कांग्रेस सत्ता में आती रही है। इस अवधारणा को इस बार भाजपा बदलने के लिए पूरा जोर लगा रही है। चर्चा है कि भाजपा द्वारा राज्य की सभी सत्तर विधानसभा सीटों पर सर्वे कराई जा रही है। इसके लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है। यह गोपनीय तरीके से सर्वे कर रही हैं।
भाजपा के उच्च सूत्रों की माने तो 18 विधायक ऐसे हैं जिनकी रिपोर्ट सही नहीं है। हालांकि टिकट काटने का अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान करेगा।अच्छी छवि न बना पाने वाले विधायकों के टिकट काटना भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी रहा है। और अब तक जिन प्रदेशों में भाजपा दुबारा सत्ता में आई है वहां भी भाजपा ने सीटिंग विधायकों के टिकट काटे हैं। ताकि जनता में पार्टी की छवि को नुकसान न पहुचे।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के विधायकों के टिकट काटने का फायदा भी पार्टी को मिलेगा। यह निर्णय भाजपा को फिर से सत्ता पर काबिज कराने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा सकता है।