देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आगामी विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला करना उनकी मजबूरी थी, या वास्तव में वह चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। इसके पीछे कई कारण छिपे हैं।
मुख्यमंत्री से हटाए जाने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत भाजपा में हासिए पर हैं। चुनाव सिर पर है लेकिन पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उनकी जिम्मेदारी अभी तक फिक्स नहीं की है। पूर्व मुख्यमंत्री होने के कारण न
हीी उन्हें प्रचार का जिम्मा दिया गया, और न ही चुनाव लड़ने को लेकर हरी झंडी दी गई। सूत्रों के अनुसार भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के द्वारा बुधवार देर शाम तक टिकट फाइनल होने की संभावना है, जिसके मद्देनजर ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इससे पहले केन्द्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जता कर अपनी भलाई समझी।भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी हाइकमान चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को लेकर विवाद नहीं चाहती है। अभी तक वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की भी पार्टी ने एलान नहीं किया है। चुनाव के बाद भी यदि भाजपा सत्ता में आती है तो भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व किसे मुख्यमंत्री बनाता है यह पूरी तरह पार्टी हाइकमान ही तय करेगा।