देहरादून: आम जनता से जुड़े राज्य के अधिकांश मुद्दों में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले अजेन्द्र अजय का नाम इस बार भाजपा में केदारनाथ विधानसभा सीट को लेकर चर्चाओं में हैं। हर मंच पर पिछले दो दशक से जमीन से जुड़े मुददे राष्ट्रीय स्तर पर उठाएं। उनकी राजनीतिक सक्रियता के चलते आम जन के बीच अच्छी पकड़ है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो अजेंद्र क्षमतावान और सूझ बूझ से परिपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं। यह अलग बात है कि उनकी योग्यताओं व क्षमताओं के अनुरूप उन्हें अभी तक वैसा पद नहीं मिला है। यही कारण है कि इस बार केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र में आगामी चुनावों में बड़ी संख्या में लोग उन्हें भाजपा के प्रत्याशी के रूप में देखना चाहते हैं। खास कर युवा और बुद्धिजीवी वर्ग में लोकप्रियता के चलते अजेंद्र की चर्चाएं सर्वाधिक हैं।
उत्तराखंड की राजनीति में अजेंद्र अजय ऐसा जाना पहचाना नाम है, जो राज्य हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों को गंभीरता और जुझारूपन के साथ उठाते हैं और समय- समय पर प्रदेश ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियों में रहते हैं।अजेंद्र अपने छात्र जीवन से ही पत्रकारिता, सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। अजेंद्र भले ही व्यवहार में बेहद शांत व सौम्य दिखते हैं और शालीनता से बातचीत करते हों। लेकिन इसके विपरीत वे वैचारिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता के मामले में कठोर, निर्भीक और दुस्साहसिक फैसले लेने में जरा सा भी संकोच नहीं करते हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से राजनीति में पदार्पण करने वाले अजेंद्र ने हमेशा राजनीति को लोगों की सेवा का माध्यम बनाया है। आज जब राजनीति में आमतौर पर स्वार्थ सिद्ध और विभिन्न योजनाओं के ठेके लेने की हौड़ मची रहती है।
अजेंद्र को मुद्दों की गंभीर समझ है। वे मुद्दे उठाते ही नहीं, बल्कि उनको अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश भी करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा। केदारनाथ आपदा में अजेंद्र का विजयनगर (अगस्त्यमुनि) में आवास, दुकानें और अन्य सभी संपत्ति पूरी तरह से जल प्रलय की भेंट चढ़ गई थी। उनकी ही तरह केदार घाटी में बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए थे।
अजेंद्र के प्रयासों से आपदा पीड़ितों ने केदार घाटी आपदा पीड़ित विस्थापन व पुनर्वास संघर्ष समिति का गठन कर उनको इसका अध्यक्ष बनाया। अजेंद्र ने पूरी क्षमताओं के साथ पीड़ितों की लड़ाई को लड़ा। उनके प्रयासों से वर्ष 2013 के आपदा पीड़ितों की कई मांगों को प्रदेश सरकार ने माना। पहली बार प्रदेश सरकार ने आपदा में जिनके मकान पूर्ण रूप से नष्ट हो गए थे उनको 7- 7 लाख रुपए का मुआवजा दिया। मुआवजा वितरण में मकान को इकाई मानने के बजाय परिवार के प्रत्येक बालिग सदस्य को इकाई माना गया।
अजेंद्र धार्मिक परंपराओं, मान्यताओं, संस्कृति से किसी प्रकार की छेड़छाड़ के सख्त विरोधी रहे हैं। वर्ष 2006 में कांग्रेस से जुड़े द्वारिका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ धाम में स्फटिक लिंग की स्थापना कर अपना समानांतर मठ बनाने का प्रयास किया। अजेंद्र को जब यह जानकारी मिली तो वे सीधे केदारनाथ पहुंचे और उन्होंने वहां स्वामी स्वरूपानंद की अध्यक्षता में स्फटिक लिंग स्थापना के कार्यक्रम का जोरदार विरोध किया।
केदारनाथ आपदा के बाद अजेंद्र ने केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों में की जा रही घपले – घोटालों को भी उजागर किया। सूचना के अधिकार ( RTI) के माध्यम से उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।
हिन्दू संस्कृति के लिए वह हमेशा ही सचेत रहे। सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की केदारनाथ ” फिल्म में केदार धाम की गरिमा को ठेस पहुंचाने और लव जिहाद का आरोप लगा कर उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया। अजेंद्र आजकल एक बहुत बड़े मुद्दे को लेकर मीडिया की सुर्खियों में हैं। यह मुद्दा है लैंड जिहाद का। उन्होंने समुदाय विशेष के लोगों द्वारा प्रदेश में बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों का निर्माण किए जाने, जमीन खरीदने और उनकी आबादी में भारी बढ़ोत्तरी का मुद्दा व्यापक स्तर पर उठाया। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए सख्त कानून बनाने की भी मांग उठाई। उनके प्रयासों के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को लेकर एक समिति का गठन किया है। इस समिति के अध्यक्ष प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रहे सुभाष कुमार को बनाया गया है। इसके साथ ही दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों के अलावा अजेंद्र अजय को भी इसका सदस्य बनाया गया है।