Thursday, September 19, 2024
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हल्द्वानी जमीन अधिग्रहण मामले में विपक्ष आया प्रभावितों के समर्थन में, सात दिन की मिली मोहलत

देहरादून: हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर उत्तराखंड में सियासत गरमा गयी है। जहां एक ओर लोग अपना घरोंदा बचाने के लिए दुआ कर रहे है वहीं राजनैतिक दल राज्य सरकार पर उंगली उठा रहे है I

इस प्रकरण पर कांग्रेस पूरी तरह से फ्रंट फुट पर आ गई है। कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश मामले में कानूनी सलाह के लिए पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के पास पहुंचे हैं। यह प्रकरण राहुल गांधी के पास पहुंच गया। 

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि के मामले को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी से दूरभाष पर बात की है और उनसे राजधर्म निभाने का आग्रह किया है। वह इस मामले को लेकर हल्दानी में उपवास पर बैठे हैं। रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। सरकार योजनाबद्ध तरीके से इनका पुनर्वास कर सकती है।

साथ ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना प्रकरण सही तरह से नहीं रखा है। कहा कि रेलवे जिसको अपनी जमीन बता रहा है, उस जगह पर कई सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति हैं। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। उन्होंने सरकार पे उंगली उठाते हुए कहा कि सरकार के मन में खोट है और वह किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल करना चाहती है। 

वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष ने बनभूलपुरा पहुंचकर रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामले में लोगों से बातचीत करके उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की बात कही। कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन उवैसी ने इस मामले में लोगों की परेशानी को संसद तक ले जाने का आश्वासन भी दिया है।

सात दिन की मोहलत

रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है। इसमें रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण तोड़ दिया जाएगा। उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा। अतिक्रमण तोड़ने के दौरान अगर गिरफ्तार करने की नौबत आई तो इसके लिए ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की योजना बनाई जा रही है।

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