देहरादून: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के कारण मौत के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करने के आदेश पर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के चलते इस आदेश के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि सीएजी द्वारा इसकी जांच का आदेश दिए जा सकते है।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने फर्जी कोरोना प्रमाणपत्र या नकली दावों का मुद्दा उठाते हुए पीठ से कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार फिलहाल डाक्टरों द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही यह अनुग्रह राशि दी जा रही है। जिसकी आड़ में कई लोग कोर्ट के आदेश का नाजायज फायदा उठा रहे हैं और डॉक्टर को पैसे देकर फर्जी प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने फर्जी कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र पर अंकुश लगाने के लिए सुझाव मांगा है।
इससे पहले सात मार्च को भी इसपर सुनवाई हुई थी| जिसमे न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने चिंता जताई थी। पीठ ने कहा कि यह चिंता की बात है कि डॉक्टरों की ओर से कोरोना मृतकों के फर्जी प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं। मुआवजे की मांग करने वाले दावों के लिए कुछ समय-सीमा होनी चाहिए। यह बहुत गंभीर बात है और इसपर जितनी जल्द हो सके समाधान की जरूरत है।
कोरोना अनुग्रह राशि पाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना पड़ सकता है भारी
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