उत्तराखण्ड में 24 घंटे के भीतर वनाग्नि की 54 घटनाएं
देहरादून। मध्य हिमालय स्थित उत्तराखण्ड राज्य में दो दिन पहले ही 24 घंटे के दौरान 52 आग लगने की रिकॉर्ड घटनाएं दर्ज की गईं। गुरुवार को ये रिकॉर्ड भी टूट गया। गुरुवार को उत्तराखंड के वनों में आग लगने की 54 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो इस फायर सीजन में सबसे ज्यादा है। अब आने वाले दिन वन विभाग के लिए वनाग्नि को लेकर आसान नहीं हैं। वनों की आग जहां पर्यावरण को नुकसान पहंुचा रही है। वहीं ब्लैक कार्बन ग्लेशियर्स को भी प्रभावित करते है। ऐसा माना जा रहा है।
उत्तराखंड हिमालयी प्रदेश होने के कारण यहां होने वाली तमाम घटनाएं सीधे तौर से हिमालय पर भी असर डालती हैं। वनाग्नि की घटनाएं भी इन्हीं में से एक है। जंगलों में लगने वाली आग उत्तराखंड के वन क्षेत्र को तो प्रभावित करती ही है, साथ ही यहां के वायुमंडल पर भी इसका असर पड़ता है। ये बात भी सामने आई है कि जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने पर इसके आसपास के क्षेत्रों में तापमान में करीब दो डिग्री तक की बढ़ोत्तरी भी हो जाती है। उधर वायु प्रदूषण के अलावा इससे निकलने वाले कार्बन पार्टिकल्स भी नई समस्या को जन्म देते हैं। दरअसल ब्लैक कार्बन वायुमंडल में फैलने के बाद हिमालयी ग्लेशियर्स को भी प्रभावित करते हैं। पिछले साल केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के भौतिक विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की बात सामने रखी थी। इसमें माना गया था कि वायुमंडल में फायर सीजन के दौरान 12 से 13 गुना तक कार्बन की अधिकता पाई गई। जिसमें बायोमास बर्निंग यानी वनों में लगी आग की भागीदारी 55 प्रतिशत से अधिक थी।
जंगलों में लगने वाली आग से निकलने वाले ब्लैक पार्टिकल्स वायुमंडल में कुछ समय तक मौजूद रहकर धीरे-धीरे नीचे आते हुए एक काली परत बना लेते हैं। जब यही पार्टिकल्स ग्लेशियर पर फैल जाते हैं तो पर्यावरण के लिए एक नई समस्या खड़ी हो जाती है। पर्यावरण पर काम करने वाले डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार शाही कहते हैं कि इन कार्बन के कणों के ग्लेशियर पर मौजूद होने से ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती है। यह कार्बन गर्मी को अवशोषित करते हैं और तेज धूप के दौरान ग्लेशियर को गर्म करने का काम करते हैं। इससे ग्लेशियर तेजी से मेल्ट होना स्वाभाविक है। उधर ऐसी स्थिति में नदियों में पानी की मात्रा बढ़ने के कारण उनके किनारे भू कटाव की समस्या भी बढ़ सकती है। कुल मिलाकर यह स्थिति पूरे पर्यावरण के चक्र को बदल देती है और हिमालय का इकोसिस्टम भी इससे प्रभावित होता है।
वनों की आग के कारण कार्बन उत्सर्जन की स्थिति क्या होती है और इसका कुल मिलाकर कितना नुकसान होता है, इस पर अभी कोई विस्तृत रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हालांकि कुछ क्षेत्र विशेष में हुए अध्ययन की रिपोर्ट कार्बन उत्सर्जन को लेकर चैंकाने वाली रही है। ऐसे में उत्तराखंड वन विभाग ब्लैक कार्बन की स्थिति और इससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान के लिए एक विस्तृत अध्ययन को लंबे समय से कर रहा है। बताया गया है कि इसमें वनाग्नि से हो रहे पर्यावरण को नुकसान का भी विस्तृत आकलन किया जा रहा है। वन विभाग की मानें तो फिलहाल इसको लेकर अध्ययन किया जा रहा है। वन क्षेत्र में जो आग लगती है, उससे निकलने वाला कार्बन पर्यावरण को दूषित भी कर रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों को भी इसके लिए जागरूक किया जा रहा है।
जंगलों की आग से पर्यावरण को नुकसान,ग्लेशियर्स भी प्रभावित
RELATED ARTICLES